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कल, बहुत दिनों बाद एक मित्र का आया फोन हाल, चाल और मौसम की जानकारी के बाद बोला वो ‘इस बार कुछ बदलेगा’ काल्पनिक किमाम के बीड़े को मुँह में डालकर हिचकिचाते मैंने पूछ ही डाला ‘क्या और क्यों बदलेगा’ तो बोला वो ऐसा, कभी सोचा ना था, मानव कैद और जानवर आज़ाद होगा ! सड़के सुनसान, घर आबाद और गंगा-यमुना का पानी साफ होगा ! सुना है, अब दिल्ली में सांस लेना मुमकिन होगा ! जीव जंतु का मानव के साथ रहना आसान होगा ! या शायद जानवर का ही राज होगा पर कुछ तो बदलेगा ! एक तुच्छ वायरस से परास्त हो
गये अमेरिका, रूस और चीन और विश्व भर में हो रही शक्तिशाली की सत्ता विलीन शेयर बाजार में मच रहा आये दिन हाहाकार कह रहे लोग यह है प्रकृति का अत्याचार ! मित्र मेरा तो है विचार अब कुछ तो जरूर बदलेगा ! किमाम की कमी को कर नकार पेशानी पर हल्का सा जोर डाल धीरे से मैंने बोला कुछ नहीं बदलेगा ! क्या कभी कुछ बदला है जो अब बदलेगा
! इतिहास भविष्य का है दर्पण क्या इतिहास बदला जो भविष्य बदलेगा ! कितने बिनाशकारी युद्ध, महायुद्ध और महामारी आये पर यह दानव कहाँ बदला जो अब बदलेगा
! याद है 84 के दंगे, बाबरी का विनाश, और यह सब सिर्फ बैठकों और सोशल मीडिया तक चर्चित क्या रुक पायेगा ? सुख को सत्ता और सम्पति में रहे खोज लेते जन्म और हम मरते रोज लगता नहीं तुम्हे कि जन्म मानव का, विनाश का है प्रतीक जन्म लेते ही चल पड़ता है मृत्यु की और हम मानव को रच कर ब्रह्मा भी है परेशान हुए विष्णु भी अब्तरित 9 बार आये श्री कृष्ण और आये श्री राम पर आ ना सके वह भी काम धरा अब भी कर रही हाहाकार ‘बचाओ-बचाओ’ की जीव जंतु कर रहे पुकार गोदरा का नरसंहार, निर्बया का रोष, केदार में भोले का तांडव और हर साल मुंबई और असम में बाढ़ का प्रकोप कहा कुछ बदला जो अब बदलेगा ! अनादि काल से धर्म और सत्ता के नाम पर आदमी का खून कमज़ोर का शोषण और प्रगति के नाम पर प्रकृति का विनाश क्या कभी रुका है जो रुकेगा ! परोपकार का सिर्फ बातों, किताबों तक सीमित रहना यह हमारी बातें पुनः किताबों, यादों और सोशल मीडिया में दब जाएगी ! गंगा-जमुना फिर होगी दूषित और दिल्ली की हवा जहरीली हो जाएगी ! मानव फिर बनेगा दानव और उसका ही होगा राज़ पर यह सब क्या निमित नहीं होगा ? कलयुग है ! क्या कल्की का आगमन नहीं होगा इसलिए कहता हूँ मित्र ना कभी कुछ बदला है ना कुछ बदलेगा !
WRITTEN :25 Apr 20, During Covid Lockdown in response to Dushyant's poem "Kutch To Badlega" |
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