15 AUG 18 |
चार दुकान की सड़क पर
चार दुकान की सड़क पर हमारे पुणय मिलन पर आज चौथी वर्षगाँठ पर पूर्ण हुई एक अभिलाषा, तुम्हारे साथ एकान्त में चलना इस चार दुकान की सड़क पर | अब मन करता है कि तुम्हारे साथ साथ पूरी जिंदगी यूँही चलूँ जैसे हम चले इस चार दुकान की सड़क पर I ना तुम कुछ कहो न मैं कुछ बोलूं फिर भी हम एक दूसरे को समझे और अपनाये जैसे हम चले इस चार दुकान की सड़क पर I हिमालय से आती देवदार वृक्षों को छूती पहाड़ी ठंडी हवा हमारे अंतर्मन को यकायक छूकर हमें और करीब लाये जैसे हम चले इस चार दुकान की सड़क पर कहीं पढ़ा था कि एकान्त में इन्सान अपने आप को पाता है इस मधुमय जीवन की चिल्ल पौ में हम अपने एकान्त को पाये और एकान्त में अपने आप को और पाये और जिन्हे हम पाये उनका भी पुण्य मिलन हो जैसे हम चले इस चार दुकान की सड़क पर I मैं भी एक लालची मुनष्य हूँ एक हुई पूरी और एक नयी अभिलाषा जागी अब चलो सभी बर्षगांठ पर तुम मेरे हाथों में हाथ डाल मेरे साथ ही चलो जैसे हम हमेशा चले इस चार दुकान की सड़क पर I
WRITTEN :15 Aug18 |
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