कहाँ
जा रहा था ? कहाँ आ गया हूँ में ? कभी सोचा न था बदलूंगा पर लगता है अब बदल रहा हूँ में देख रहा हूँ वक़्त को गुजरते हुए समय और दुनिया को बदलते हुये ! कभी सोचा न था जिसके बारे
में उसे देख, महसूस कर रहा हूँ मैं ! सबने बोला बदलो, मैं चुप रहा तुझे चुप कर, सबकी सुन रहा हूँ मैं हैं पाया ही हैं !
पर अभी भी कभी तुझे चुप कोने में खड़ा देख अक्सर यह सोच उठता हूँ मैं क्या सही कर रहा हूँ मैं ?
कभी सोचा न था बदलूंगा मैं पर वक़्त की गुजार है और बदल रहा हूँ मैं ! खोया कुछ ज्यादा नहीं जो भी हैं पाया ही हैं !
पर अभी भी कभी तुझे चुप कोने में खड़ा देख अक्सर यह सोच उठता हूँ मैं क्या सही कर रहा हूँ मैं ?
कभी सोचा न था बदलूंगा मैं पर वक़्त की गुजार है और बदल रहा हूँ मैं ! |
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Monday, 14 August 2023
कहाँ जा रहा था ?
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