About Me

Delhi, India
A no-one moving towards no mind

Friday, 7 June 2024

बाकि है सांसें तुझमे

 

" बाकि है सांसें तुझमे "

 

जब उखड रही थी सांसें मेरी 

 और छाती का पत्थर चट्टान हो चला था

एक अंधकार से दूसरे अंधकार और 

जीवन के तिलिस्म में तैर रहा था

दूर कहीं भीतर से आयी थी एक आवाज़

अभी बाकी हैं सांसें तुझमे

कुछ काम है तेरे बाकी

अभी बाकी है कुछ ज़िन्दगी

आज तेरा वक़्त नहीं

पर आज वक़्त है तेरा

 

अँधेरा  तो जल्दी टूटा

पर दूर से आती आवाज़ बढ़ती गयी

कुछ बाकी है काम मेरे

पिता से दिन में झगड़ना है बाकी

और संध्या होते ही मित्र बनाना है बाकी

माँ के अपर प्रेम से उचट जाना

फिर अपने आप को माफ़ करना है बाकी

जो प्रेम से रहे अछूते

उन्हें करना है सरोबार है बाकी

अंश को मेरे , अंश देना है बाकी

कुछ और बच्चो को दोस्त बनाना है बाकी

मित्रों के साथ अपनी बेवकूफियों पर

ठहाके  और लगाना है बाकी

 

जीवन भर का युद्ध इस  ब्राह्मण

को समझ नहीं आया

पराजय की दृश्टिकोण बदलने की क्षमता से

 विजित हमेशा वंचित रहा 

  और मैं तो हमेशा हारा ही हूँ

 लगता है इस बार जीतना था बाकी

 

जब प्राण पखेरू हो रहे थे

और उखड रही थी सांसें मेरी

कानो में गूंजती अब भी वो आवाज़

अभी बाकी है कुछ ज़िन्दगी

अभी बाकी है कुछ काम तेरे

अभी बाकी है सांसें तेरी



WRITTEN :After Covid ,May 21

 

 

 

No comments: