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Delhi, India
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Tuesday, 28 May 2024

नवविवाहित

अपने आप को अपने ही  

घर मे मुसाफिर सा पा रहा हूँ 

अपने विवाहित होने की सज़ा पा रहा हूँ  

 

एक व्यवस्था सी है अब  

चाय, सिगरेट सही समय  

और जगह पर पा रहा हूँ 

पर फिर भी उस पुरानी अव्यवस्था के अभाव को  

महसूस कर 

मस मसा सा रह जाता हूँ  

 

नौकर चाकर जो कभी मेरे गुलाम थे 

उनकी चोर निगाओं मे मेरी हालत पर 

हसी देख पा रहा हूँ

 अपने विवाहित होने की सज़ा पा रहा हूँ  

 

रसोई के शोर गुल 

के साथ पत्नी के  

पसंदीदा गाने पर  

उसे गुनगुनाते सुन पा रहा हूँ

अपने विवाहित होने की सज़ा पा रहा हूँ 

जहाँ पार्टियों मे जाम पर जाम पर सिगरेट के गुलचल्लों के

बीच हा हा ठट्ठा करता नज़र आता था 

अब खाने के काउंटर की लाइन मे  

नज़र आता हूँ

 अपने विवाहित होने की सज़ा पा रहा हूँ 

 

 

पर अब अक्सर मैं 

मंद मंद मुस्कराता पाया जाता हूँ 

 

अपने नव विवाहित होने  का रस लेता नज़र आता हूँ  

 

 

 

 

 

 WRITTEN :2014 ,Some time after marriage

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