About Me

Delhi, India
A no-one moving towards no mind

Thursday, 20 June 2024

यादें

 



बिखरे पल बिसरी बातें

कुछ रहता नहीं

रह जाती हैं यादें

दिल में उमंग जगाने को

मन में एहसास जगाने को

तेरी याद दिलाने को

रह जाती हैं यादें

सोपा दर्द जगाने को

रह जाती हैं यादें

यादों का बन्धन तोड़ के आया हूँ

तुझे अकेला छोड़ आया हूँ

तेरे मेरे बीच में कुछ रहा नहीं

रह गयी हैं बस यादें

यादें उन सुनहरे पल और चांदनी रातों की जब हम थे साथ कभी

सोचा था होंगे न कभी जुदा

अब रहा नहीं बाकी कुछ

बस बची हैं यादें

भूल सकता नहीं कभी तुझे

भूल सकता नहीं प्यार तेरा

क्योँकि बची हैं सिर्फ यादें

खुश नहीं अब मै

खुश था बहुत तब मै

सब कुछ था पास मेरे

अब नहीं कुछ पास मेरे

है सिर्फ यह जिंदगी और तन्हाई

और बची है तेरी कुछ यादें



WRITTEN :OCT 1992

 

 

Saturday, 8 June 2024

पैदा हुआ एक ख्याल

                                

                                           

 

 पैदा हुआ एक ख्याल

उपजी कुछ पंक्तिया

कुछ नाकारी , कुछ रखी

उलटी , पलटी, परखी

परखा फिर ख्याल

सहताता,गुदगुदाता

 पुचकारता ख्याल

मेरे अकेलेपन में

मेरा पसंदीदा ठहराव

 याद दिलाता ख्याल

एक निर्धन

का समय समर्पण

स्वीकार लो


WRITTEN :APRIL 2003

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


Friday, 7 June 2024

कभी पाके तुझको खोना (PP)

 

कभी पाके तुझको खोना

कभी खो के तुझको पाना

ये तेरे मेरे रिश्ते

की अजीब दास्तान है !

 

उस राह परजहाँ हम कभी

साथ साथ चले

 

लोग मुझे रोक - रोक पूछे

ये तो बता जा

की तेरा हमसफर कहाँ है !


WRITTEN :2007 , PP is partially plagiarised , which I realised many years later 

मेरा कुछ खो गया है

                                          

मेरा कुछ खो गया है

  मेरा कुछ खो गया है

तुम्हे मिले तो बता देना


खोया है जो

वो सबसे अजीज,

दिल के बेहद करीब था,

तुम्हे मिले तो बता देना



न दिया तबज्जो,

न दिया अहम,

जब वो करीब था


अब खो गया है वो

जो कभी दिल का चैन,

और रातों की नींद था,

तुम्हे मिले तो बता देना


अब ये आलम है

की दिल बेचैन और

आँखें नम है

तुम्हे मेरा चैन मिले तो

बता देना


ढूंढ रहा हूँ मैं भी उसे

एक आम जिंदगी जीते हुये

किसी और को खबर नहीं

पर तुम्हे मिले तो बता देना


मुस्कराता था कभीदेख उसे,

जन्नत के करीब

चला जाता था मैं

अब हँसता हूँतो यह सोच,

के कहीं रो न पडूँ

तुम्हे मेरी मुस्कराहट मिले

तो बता देना


ढूंढा मैंने बहुत ,

पहाड़ों में भीड़ मे

नदिओं में और तेज

दौड़ती सड़कों में

और ढूंढा बहुत संगीत में

रहा नाकाम हमेशा

शायद मेरी तक़दीर की तरह,

पर हाँ,

तुम्हे वो मिले तो बता देना,

 

शायद नाराज़ है मुझसे

यह समझ कि समझा नहीं में

और मैं नासमझ यह समझा

कि समझा नहीं वो


अगरतुम्हे वो मिले तो बता देना,

 

कि समझ गया हूँ मैं

क्या होता है प्यार

और अगर कुछ बाकी हो

तो पास आके समझा देना

 

दिल की गुहार है कि वो मेरा प्यार है

शुक्रगुजार रहूँगा हमेशा

मेरा खोया प्यार मुझे लौटा देना

अगरतुम्हे वो मिले तो बता देना

बाकि है सांसें तुझमे

 

" बाकि है सांसें तुझमे "

 

जब उखड रही थी सांसें मेरी 

 और छाती का पत्थर चट्टान हो चला था

एक अंधकार से दूसरे अंधकार और 

जीवन के तिलिस्म में तैर रहा था

दूर कहीं भीतर से आयी थी एक आवाज़

अभी बाकी हैं सांसें तुझमे

कुछ काम है तेरे बाकी

अभी बाकी है कुछ ज़िन्दगी

आज तेरा वक़्त नहीं

पर आज वक़्त है तेरा

 

अँधेरा  तो जल्दी टूटा

पर दूर से आती आवाज़ बढ़ती गयी

कुछ बाकी है काम मेरे

पिता से दिन में झगड़ना है बाकी

और संध्या होते ही मित्र बनाना है बाकी

माँ के अपर प्रेम से उचट जाना

फिर अपने आप को माफ़ करना है बाकी

जो प्रेम से रहे अछूते

उन्हें करना है सरोबार है बाकी

अंश को मेरे , अंश देना है बाकी

कुछ और बच्चो को दोस्त बनाना है बाकी

मित्रों के साथ अपनी बेवकूफियों पर

ठहाके  और लगाना है बाकी

 

जीवन भर का युद्ध इस  ब्राह्मण

को समझ नहीं आया

पराजय की दृश्टिकोण बदलने की क्षमता से

 विजित हमेशा वंचित रहा 

  और मैं तो हमेशा हारा ही हूँ

 लगता है इस बार जीतना था बाकी

 

जब प्राण पखेरू हो रहे थे

और उखड रही थी सांसें मेरी

कानो में गूंजती अब भी वो आवाज़

अभी बाकी है कुछ ज़िन्दगी

अभी बाकी है कुछ काम तेरे

अभी बाकी है सांसें तेरी



WRITTEN :After Covid ,May 21

 

 

 

Tuesday, 28 May 2024

नवविवाहित

अपने आप को अपने ही  

घर मे मुसाफिर सा पा रहा हूँ 

अपने विवाहित होने की सज़ा पा रहा हूँ  

 

एक व्यवस्था सी है अब  

चाय, सिगरेट सही समय  

और जगह पर पा रहा हूँ 

पर फिर भी उस पुरानी अव्यवस्था के अभाव को  

महसूस कर 

मस मसा सा रह जाता हूँ  

 

नौकर चाकर जो कभी मेरे गुलाम थे 

उनकी चोर निगाओं मे मेरी हालत पर 

हसी देख पा रहा हूँ

 अपने विवाहित होने की सज़ा पा रहा हूँ  

 

रसोई के शोर गुल 

के साथ पत्नी के  

पसंदीदा गाने पर  

उसे गुनगुनाते सुन पा रहा हूँ

अपने विवाहित होने की सज़ा पा रहा हूँ 

जहाँ पार्टियों मे जाम पर जाम पर सिगरेट के गुलचल्लों के

बीच हा हा ठट्ठा करता नज़र आता था 

अब खाने के काउंटर की लाइन मे  

नज़र आता हूँ

 अपने विवाहित होने की सज़ा पा रहा हूँ 

 

 

पर अब अक्सर मैं 

मंद मंद मुस्कराता पाया जाता हूँ 

 

अपने नव विवाहित होने  का रस लेता नज़र आता हूँ  

 

 

 

 

 

 WRITTEN :2014 ,Some time after marriage